Milkipur by election 2025: क्या मिल्किपुर उपचुनाव में बीजेपी को राम मंदिर का फायदा मिला या जीत कि वज़ह कुछ और है?
Milkipur by election: मिल्किपुर उपचुनाव 2025, उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले में हुआ, जो एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सांस्कृतिक मोड़ का प्रतीक है। यह उपचुनाव तब हुआ जब स्प के अवधीश प्रसाद ने 2024 में फैजाबाद लोकसभा जीतकर अपनी विधानसभा की सीट छोड़ दी थी। अयोध्या, जहाँ राम मंदिर का उद्घाटन हुआ है, भाजपा के लिए इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने का खास मैदान बन गया है।
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Milkipur by election: पृष्ठभूमि
- उपचुनाव का कारण:
अवधीश प्रसाद के लोकसभा जीतने के बाद मिल्किपुर की सीट खाली हो गई, जिससे उपचुनाव कराया गया। - अयोध्या का महत्व:
यह क्षेत्र सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, जहां भाजपा अपने हिंदुत्व के संदेश के साथ विकास और कल्याणकारी योजनाओं को प्रस्तुत करना चाहती है। - राजनीतिक मुकाबला:
इस उपचुनाव में भाजपा के चंद्रभानु पासवान ने स्थानीय स्तर पर अपना मजबूत संगठन और जनता से जुड़ाव दिखाते हुए जीत हासिल की, जबकि स्प का अजीत प्रसाद पारिवारिक विरासत पर निर्भर रहा।
उम्मीदवार और उनके प्रचार की मुख्य बातें
भाजपा के चंद्रभानु पासवान
- स्थानीय जुड़ाव:
पासवान दो-बार जिला पंचायत सदस्य हैं, जिन्होंने अपने गहरे गाँव से जुड़ाव और स्थानीय समस्याओं के समाधान को उजागर किया। - कल्याणकारी योजनाएँ:
भाजपा की सड़क निर्माण, स्वास्थ्य और अन्य विकास योजनाओं का प्रचार किया। - उम्मीदवार का संदेश:
उन्होंने दलित (पासी उप-जाति), ओबीसी और उच्च जातियों से एकजुटता बनाए रखने का वादा किया।
समाजवादी के अजीत प्रसाद
- पारिवारिक विरासत:
अजीत प्रसाद, अवधीश प्रसाद के बेटे, ने परिवार की छाप पर भरोसा किया। - स्थानीय मुद्दे:
बेरोजगारी, आवारा पशुओं और अन्य स्थानीय समस्याओं पर ध्यान केंद्रित किया, पर जमीनी स्तर पर कम संपर्क रहा।
अन्य उम्मीदवार
- आजाद समाज पार्टी के संतोष कुमार:
छोटे स्तर पर हिस्सा लेने वाले उम्मीदवार। - मौलिक अधिकार पार्टी के राम नरेश चौधरी:
सीमित वोटों के साथ मुकाबला करने वाले। - स्वतंत्र उम्मीदवार:
संजय पासी, भोलानाथ, वीद प्रकाश, अरविंद कुमार, और कंचनलता – इन सभी ने बहुत कम वोट प्राप्त किए। - राष्ट्रीय जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) की सुनीता:
जिन्होंने भी कुछ वोट पाए। - NOTA (कोई वोट नहीं) भी:
मतदाता यदि किसी भी उम्मीदवार से असंतुष्ट हों, तो NOTA का विकल्प भी मौजूद है।
उम्मीदवारों की जानकारी का सारांश
उम्मीदवार का नाम | पार्टी/स्थिति | प्राप्त वोट |
---|---|---|
चंद्रभानु पासवान | भाजपा | 1,46,397 |
अजीत प्रसाद | स्प | 84,687 |
संतोष कुमार | आज़ाद समाज पार्टी | 5,459 |
राम नरेश चौधरी | मौलिक अधिकार पार्टी | 1,107 |
संजय पासी | स्वतंत्र | 1,003 |
भोलानाथ | स्वतंत्र | 507 |
वीद प्रकाश | स्वतंत्र | 425 |
अरविंद कुमार | स्वतंत्र | 363 |
सुनीता | राष्ट्रीय जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) | 286 |
कंचनलता | स्वतंत्र | 1,361 |
NOTA | (कोई पार्टी नहीं) | – |
मत और परिणाम
- कुल मत: लगभग 3.7 लाख मतदाता थे, जिनमें से लगभग 57% ने वोट दिया।
- मुख्य मत अंतर:
- भाजपा ने 1,46,397 वोट प्राप्त किए।
- स्प ने 84,687 वोट प्राप्त किए।
- जीत का अंतर लगभग 61,710 वोट रहा।
- मतदाता विशेष:
दलित और ओबीसी वर्गों ने भाजपा को खूब समर्थन दिया, जिससे स्प का पारंपरिक आधार कमजोर पड़ा।
राजनीतिक प्रभाव
- भाजपा के लिए:
- यह जीत भाजपा की वापसी और संगठित जनता जुटान का संकेत है।
- यह दिखाता है कि भाजपा जातीय आधारों को एकजुट कर चुनाव जीत सकती है, जो आगामी 2027 के राज्य चुनावों के लिए महत्वपूर्ण है।
- समाजवादी के लिए:
- बड़े मत अंतर से स्प की पकड़ कमजोर हुई है।
- स्प को अपने स्थानीय नेटवर्क को मजबूत करने और जमीनी स्तर पर बेहतर संपर्क बनाने की जरूरत है।
- कुल मिलाकर:
अयोध्या जैसे सांस्कृतिक महत्त्व वाले इलाके में भाजपा की जीत से भविष्य में राज्य स्तर पर भाजपा के दबदबे के संकेत मिलते हैं, जबकि स्प को अपनी रणनीतियों में सुधार करना होगा।
निष्कर्ष:
मिल्किपुर उपचुनाव में भाजपा की जोरदार जीत यह साबित करती है कि मजबूत स्थानीय संगठन, जातीय जुटान और कल्याणकारी योजनाएँ काम करती हैं। साथ ही, स्प को अपने पारंपरिक आधार को पुनर्जीवित करने और जमीनी स्तर पर सुधार करने की जरूरत है। यह मुकाबला आगामी 2027 के चुनावों के लिए भी एक महत्वपूर्ण पूर्व संकेत है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
मिल्किपुर में उपचुनाव क्यों हुआ?
👉 मिल्किपुर में उपचुनाव इसलिए हुआ क्योंकि समाजवादी पार्टी (स्प) के विधायक अवधीश प्रसाद ने 2024 में फैजाबाद लोकसभा सीट जीतने के बाद अपनी विधानसभा सीट छोड़ दी थी।
यह चुनाव किसके बीच मुख्य मुकाबला था?
👉 मुख्य मुकाबला भाजपा के चंद्रभानु पासवान और समाजवादी पार्टी के अजीत प्रसाद के बीच था।
किस उम्मीदवार को कितने वोट मिले?
चंद्रभानु पासवान
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)
1,46,397
अजीत प्रसाद
समाजवादी पार्टी (स्प)
84,687
संतोष कुमार
आज़ाद समाज पार्टी
5,459
राम नरेश चौधरी
मौलिक अधिकार पार्टी
1,107
अन्य (स्वतंत्र उम्मीदवार)
अलग-अलग छोटे दल
5,000+
भाजपा ने यह चुनाव कैसे जीता?
👉 भाजपा ने राम मंदिर, हिंदुत्व, और विकास योजनाओं को प्रमुख मुद्दा बनाया।
👉 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई बार प्रचार किया, जिससे भाजपा का समर्थन बढ़ा।
👉 भाजपा ने ओबीसी, दलित, और उच्च जाति के वोटों को एकजुट किया, जिससे उन्हें भारी जीत मिली।
समाजवादी पार्टी (स्प) को हार क्यों मिली?
👉 समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अजीत प्रसाद स्थानीय स्तर पर बहुत लोकप्रिय नहीं थे।
👉 भाजपा ने कल्याणकारी योजनाओं का प्रचार किया, जिससे ओबीसी और दलित वोट बैंक में सेंध लगी।
👉 भाजपा ने राम मंदिर और हिंदुत्व का मुद्दा उठाया, जिससे हिंदू मतदाताओं का झुकाव भाजपा की ओर बढ़ा।
इस चुनाव में कुल मतदान प्रतिशत कितना था?
👉 57.13% मतदाताओं ने वोट डाला।
इस चुनाव का उत्तर प्रदेश की राजनीति पर क्या असर होगा?
👉 यह चुनाव भाजपा के लिए 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले एक मनोवैज्ञानिक जीत है।
👉 समाजवादी पार्टी को अपने संगठन को मजबूत करने और नई रणनीति बनाने की जरूरत होगी।
👉 अयोध्या और आसपास के क्षेत्र में भाजपा की पकड़ और मजबूत हुई है।
क्या इस चुनाव में कोई विवाद हुआ?
👉 समाजवादी पार्टी ने चुनावी धांधली, फर्जी वोटिंग और प्रशासनिक पक्षपात के आरोप लगाए।
👉 भाजपा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे स्प की हताशा बताया।